जब एक महिला गर्भवती होती है, तो उसे बच्चे और अपने स्वयं के स्वास्थ्य के लिए कई चीजों के प्रति अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। मध्यम व्यायाम आपके स्वास्थ्य की देखभाल का एक सरल और सुलभ तरीका है (जब तक कि आपकी डॉक्टर कुछ और सलाह न दें)।
हमारे आस-पास के लोग अकसर गर्भवती महिलाओं की गतिविधियों को लेकर सख्त राय रखते हैं — क्या करना चाहिए और क्या नहीं। बच्चे की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की भावना से, एक गर्भवती महिला अक्सर अपनी गतिविधियों को सीमित कर लेती है। हालांकि, अधिकांश मामलों में व्यायाम फायदेमंद है और इसकी सिफारिश भी की जाती है।
गर्भावस्था शरीर के लिए एक कठिन शारीरिक कार्य है। हार्मोनल बदलावों के साथ-साथ शरीर शिशु के विकास में ऊर्जा लगाता है और लगातार अतिरिक्त वजन उठाता है। इसका असर हड्डियों, मांसपेशियों, अंगों और मनोस्थिति पर पड़ता है। चाहे एक गर्भवती महिला वास्तव में दो लोगों के लिए खाने की ज़रूरत नहीं, फिर भी उसका शरीर स्वतः वजन बढ़ा लेता है और उसे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिलाओं को प्रायः सुबह की अस्वस्थता, कब्ज़, सूजन और बालों का झड़ना जैसी आम समस्याएं अनुभव होती हैं। इतनी सारी चीज़ों के साथ वह अतिरिक्त तनाव से बचना चाहेगी।
अपनी देखभाल का एक स्पष्ट तरीका यह लगता है कि शारीरिक व्यायाम से बचा जाए। पहले के समय में, प्रसव से पहले और बाद में ऐहतियातन आराम करने की सलाह दी जाती थी। विक्टोरियन युग में, तथाकथित "लेटने" या "संगरोध" की अवधि कभी-कभी कई महीने पहले से शुरू हो जाती थी और शिशु के जन्म के कई हफ्तों बाद तक चलती थी, भले ही मां और बच्चा स्वस्थ हों। गर्भवती महिला का घर से बाहर दिखना कभी-कभी अशिष्ट माना जाता था। ये सामाजिक नियम मां और शिशु को संभावित खतरों से बचाने के लिए बने थे, लेकिन साथ ही शर्म और कलंक भी पैदा करते थे।
आज भी, मां की चिंता से शुरू होने वाली सलाह आसानी से उसके शरीर और गतिविधियों पर अनावश्यक नियंत्रण तक पहुंच सकती है। हालांकि गर्भपात या जन्म दोषों की संभावना वास्तविक है और भावी माता-पिता को जोखिमों पर ध्यान देना तथा सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन गर्भवती महिला पर बेवजह या वैज्ञानिक रूप से गलत पाबंदियां लगाना गर्भावस्था की किसी भी समस्या के लिए सिर्फ उसी को दोषी ठहरा देता है, जबकि गर्भपात के कारण अक्सर जटिल और आनुवंशिक रूप से निर्धारित होते हैं।
हर उम्र में सक्रिय रहना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और गर्भावस्था में स्वस्थ रहना विशेष रूप से आवश्यक है। व्यायाम आपके शरीर और मन को अच्छी स्थित में बनाए रखने में मदद करता है ताकि आप गर्भावस्था की चुनौतियों का सामना कर सकें।
व्यायाम इसलिए लाभकारी है क्योंकि यह:
अगर आप गर्भावस्था से पहले सक्रिय थीं, तो सक्रिय रहें, खासकर पहले तिमाही में, पर अपने शरीर की सुनें और अपने नियमित व्यायाम में जरुरत के अनुसार बदलाव करें। यदि आप अचानक व्यायाम की अवधि और तीव्रता बहुत कम या पूरी तरह से बंद करती हैं, तो शरीर के लिए यह सदमे जैसा हो सकता है और फायदा कम, नुकसान ज्यादा होगा। सक्रिय रहना और खुद को चुनौती देना ठीक है, पर गर्भावस्था के दौरान थकावट तक व्यायाम न करें।
अगर आप गर्भधारण से पहले सक्रिय नहीं थीं, तो नए व्यायाम में सावधानी से शुरुआत करें। चाहे आप कितनी भी मजबूत महसूस करें, नए सिरे से शुरुआत करें और चोट से बचने के लिए धीरे-धीरे अवधि और तीव्रता बढ़ाएं। आप प्रतिदिन सिर्फ 5–10 मिनट के हल्के व्यायाम और चलने से भी शुरू कर सकती हैं।
अगर आपको एनीमिया, डायबिटीज़, हृदय गति संबंधी समस्या, दमा या ब्रोंकाइटिस की वजह से सांस की तकलीफ, बहुत ज्यादा धूम्रपान, अत्यधिक मोटापा या कम वजन है या कोई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो अतिरिक्त सतर्कता बरतें या व्यायाम से पूरी तरह बचें।
नियमित व्यायाम की दिनचर्या बनाएं। कुल लगभग 2.5 घंटे (150 मिनट) कार्डियो/एरोबिक व्यायाम (जैसे चलना, दौड़ना, सायक्लिंग, तैराकी) प्रति सप्ताह करें, इसे 20-45 मिनट के हिस्सों में विभाजित करें, साथ ही 2 से 3 बार ताकत बढ़ाने वाले व्यायाम, जो अलग-अलग मांसपेशी समूहों (पैर, कंधे, भुजाएं आदि) को टारगेट करें। हल्के डम्बल जैसी वज़न सामग्री टोनिंग में सहायक हो सकती है।
बागवानी, घर के काम और गार्डनिंग भी एरोबिक गतिविधियाँ हैं। ये व्यायाम शरीर के अलग-अलग हिस्सों को टारगेट करने के लिए नहीं होते, इसलिए इन्हें साप्ताहिक व्यायाम समय में शामिल न करें, फिर भी ये आपकी सामान्य फिटनेस को फायदा पहुंचाते हैं। इन गतिविधियों के दौरान अपने शरीर की संवेदनाओं पर खास ध्यान दें और बाद में पर्याप्त आराम व पुनर्प्राप्ति का समय दें।
कुछ अनुशंसित व्यायाम हैं:
पैदल चलना — नियमित टहलना आरामदायक और बहुत फायदेमंद है।
तैराकी — तैराकी और अन्य जलक्रीड़ाएं बेहतरीन कम प्रभाव वाली कसरत उपलब्ध कराती हैं। पानी शरीर को हर तरफ से सहारा देता है, जिससे गर्भवती महिलाओं के लिए आराम से व्यायाम करना संभव हो जाता है।
समूह व्यायाम — हल्के प्रभाव वाली कक्षाएँ जैसे योग और पिलेट्स बहुत लाभकारी हैं और इन्हें आपकी जरूरतों के अनुसार बदला जा सकता है। गर्भवती महिलाएँ एरोबिक्स या डांस कक्षाओं में भी भाग ले सकती हैं और ज़रूरत पर उसमें परिवर्तन कर सकती हैं।
अलग-अलग मांसपेशी समूहों के लिए ताकत वाले व्यायाम, जिनमें पेल्विक फ्लोर व्यायाम भी शामिल हैं।
सायक्लिंग — सायक्लिंग, दौड़ की तुलना में जोड़ों के लिए आसान होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए स्टेशनरी सायकिल की सिफारिश की जाती है, ताकि गिरने या कहीं टकराने का जोखिम न रहे।
हल्की जॉगिंग — कुछ महिलाओं को दौड़ना पसंद होता है, और शिशु एम्नियोटिक थैली में पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
अधिकांश शहरों में गर्भवती महिलाओं के लिए योग, पिलेट्स, यहां तक कि डांस जैसी विशेषीकृत व्यायाम कक्षाएँ उपलब्ध होती हैं। अपने क्षेत्र में प्रसव पूर्व फिटनेस विकल्प देखें। अगर आसपास कुछ न हो, तो ऑनलाइन विकल्प तलाशें। कई अस्पताल ऐसी फिटनेस कक्षाएँ भी चलाते हैं, जो गर्भवतियों को प्रसव के लिए तैयार करती हैं। अधिकांश लाइसेंस प्राप्त प्रशिक्षक जानते हैं कि व्यायामों को आपकी आवश्यकताओं के अनुसार कैसे अनुकूलित किया जाए।
वहीं दूसरी ओर, गाइडेड एक्सरसाइज करते समय विशेष सावधानी बरतें, खासकर ऑनलाइन रूटीन में। भले ही अच्छा इरादा हो, लेकिन अगर रूटीन अच्छे ढंग से तैयार नहीं, तो यह लंबी अवधि में नुकसानदायक हो सकती है, क्योंकि गर्भावस्था की मांगों की जानकारी नहीं होती। कक्षा की समीक्षाएँ पढ़ें और प्रशिक्षकों की तकनीकी योग्यता जांचें।
यदि आपको ये लक्षण अनुभव हों, तो तुरंत व्यायाम बंद करें:
दूसरी तिमाही से पीठ के बल लेटकर व्यायाम न करें, क्योंकि बच्चे का दबाव रक्त प्रवाह पर असर डाल सकता है। संभव हो तो व्यायाम खड़े, बैठकर या करवट लेकर करें।
खासकर पहली तिमाही के बाद हल्के वजन का प्रयोग करें, दोहराव कम रखें और हृदय गति बहुत अधिक न बढ़ाएं।
उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों जैसे कूदने आदि से बचें, खासकर पहली तिमाही के बाद। शिशु गर्भ में अम्नीओटिक थैली और गर्भाशय से अच्छी तरह संरक्षित रहती है, इसलिए कूदने से सामान्यतः नुकसान नहीं होता, लेकिन तेज और जोरदार गतिविधियों से गिरने व जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव का खतरा रहता है। हार्मोनल बदलावों से आपके जोड़ और स्नायु अधिक ढीले हो जाएंगे, जिससे चोट का जोखिम बढ़ेगा। कुछ मामलों में हड्डियाँ भी कमजोर हो सकती हैं, इसलिए उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट से बचना बेहतर है।
फर्श से तुरंत न उठें।
अगर आप किसी चरम खेल में दक्ष हैं तो पहले तिमाही में सुरक्षित परिस्थिति में हल्का व्यायाम चल सकता है। फिर भी सामान्यतः ऐसे खेलों से बचने की सलाह होती है, जिनमें गिरने का खतरा हो, जैसे घुड़सवारी, स्कीइंग, माउंटेन बाइकिंग या ऐसे खेल जिनमें पेट में चोट आम बात हो, जैसे बास्केटबॉल, हॉकी या मुक्केबाज़ी।
ऐसी गतिविधियों से बचें, जिनमें वायु-दाब बदलता हो या सांस लेने में खलल होता हो, जैसे स्काइडाइविंग, डाइविंग, या ऊंचाई वाले खेल (अगर आप वहां रहती नहीं हैं); अत्यधिक गर्मी में जैसे हॉट योगा या अन्य “हॉट” एक्सरसाइज; और पेट पर दबाव देने वाले व्यायाम, जैसे भारी वजन उठाना।
एक्सरसाइज से पहले, दौरान और बाद में खूब जल सेवन करें। ढीले कपड़े, सही जूते और आरामदायक ब्रा पहनें। व्यायाम सत्र से कम से कम एक घंटे पहले भोजन न करें, ताकि हार्टबर्न और मतली से बचा जा सके। अगर समूह व्यायाम क्लास में जा रही हैं, तो अपने प्रशिक्षक को बता दें कि आप गर्भवती हैं।
हल्का व्यायाम प्रसव के बाद की रिकवरी अवधि में भी मदद करता है, लेकिन पुराने या गर्भावस्था के व्यायाम रूटीन में जल्दी वापसी की कोशिश न करें। जन्म के बाद आपका शरीर अधिक संवेदनशील होगा और कुछ हफ़्तों या महीनों की रिकवरी समय की आवश्यकता होगी क्योंकि आप अपने नवजात की 24/7 ज़रूरतों के अनुसार खुद को ढालेंगी।
अपने शरीर के प्रति दयालु रहें और उसकी ज़रूरतों को महसूस करें; न ही खुद को ज़रूरत से ज़्यादा थकाएं और न ही शरीर के संकेतों को अनदेखा करें। यह सलाह हमेशा अच्छी है, लेकिन गर्भावस्था में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
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