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गर्भाशय और सामान्य गर्भाशय संबंधी समस्याएँ

बच्चे कहाँ से आते हैं? सभी माता-पिता को अंततः यह सवाल मिलता है। नए जीवन के निर्माण की जटिल प्रक्रिया को बच्चे को समझाने के कई तरीके हो सकते हैं, लेकिन हमारा जवाब छोटा और सटीक है—बच्चे गर्भाशय से आते हैं।

गर्भाशय स्वास्थ्य में जानकारी: सामान्य गर्भाशय समस्याएँ समझें।

मानव शरीर में गर्भाशय जितना लचीला और परिवर्तनशील कोई अन्य अंग नहीं होता! गर्भावस्था के दौरान यह बड़ी बेर फल जितने आकार से तरबूज जितना बड़ा होकर फिर प्रसव के बाद सामान्य आकार में आ जाता है।

गर्भाशय, या यूटेरस, महिला प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है—जो महिलाओं के लिए विशिष्ट है। यह खोखला अंग पेल्विस के भीतर उल्टे नाशपाती के आकार का होता है।

संरचना और स्थिति

गर्भाशय मोटी दीवारों वाला, बेहद लचीला और माँसपेशियों वाला अंग है। जब किसी महिला के अंडाणु का पुरुष के शुक्राणु से निषेचन होता है और वह गर्भाशय की दीवार में आरोपित (इम्प्लांट) हो जाता है, तब यही जगह भ्रूण (विकसित होता शिशु) बढ़ती है।

गर्भाशय सामने मूत्राशय और पीछे सिग्मॉयड कोलन के बीच स्थित होता है।

गर्भाशय का मुख्य भाग (कॉर्पस यूटेरी) में शामिल हैं:

  • फंडस—जहाँ फेलोपियन ट्यूब्स गर्भाशय में मिलती हैं, उसके ऊपर स्थित
  • गर्भाशय गुहा—यह वह खोखला हिस्सा है, जहाँ भ्रूण बढ़ता है
  • इस्थमस—गर्भाशय के आधार पर एक संकरा भाग

गर्भाशय की दीवार तीन स्तरों से बनी होती है:

  • पेरिमीट्रियम—यह गर्भाशय की बाहरी परत है, जो इसके मुख्य भाग और गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) के एक हिस्से को ढकती है (2 मिमी मोटी)
  • मायोमीट्रियम—मध्य परत, जिसमें लम्बवत, गोलाकार और सर्पिल पद्धति में जालीदार मांसपेशीय तंतु और संयोजी ऊतक होते हैं (15 मिमी)
  • एंडोमीट्रियम—गर्भाशय की भीतरी परत, जो म्यूकोजल ऊतक से बनी होती है (मासिक चक्र के चरण के अनुसार 6 से 16 मिमी मोटी)

एनाटॉमिकल डिटेल: गर्भाशय के मुख्य भाग में कॉर्पस यूटेरी की खोज


गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) के भी कई नामित भाग होते हैं:

  • एंडोसेर्विक्स या एंडोसेर्विकल कैनाल, वह मार्ग है जो गर्भाशय को योनि से जोड़ता है
  • इंटरनल ओएस— यह ग्रीवा के बीच में स्थित खुला हिस्सा है, जो गर्भाशय की ओर जाता है
  • एक्टोसेर्विक्स— यह गर्भाशय और योनि के बीच का मार्ग है
  • एक्सटर्नल ओएस या सर्वाइकल कैनाल—एक्टोसेर्विक्स के केंद्र में स्थित स्थान

गर्भाशय को अकसर घोंसले या बिस्तर से तुलना की जाती है, जिसमें अजन्मा शिशु अपनी जन्म तक सोता है। एंडोमेट्रियम को, उस बिस्तर की चादर कहा जा सकता है, जिसे नियमित बदलना जरूरी है।

यदि कोई निषेचित अंडाणु गर्भाशय की दीवार में नहीं आरोपित हुआ है, तो हर महीने एंडोमेट्रियम टूटकर शरीर से मासिक धर्म के रूप में बाहर निकल जाता है और एक नई ताजा परत बनने लगती है।

गर्भाशय की तीन मुख्य भूमिकाएँ होती हैं, जो शिशु के विकास में सहायक हैं:

  • यह भ्रूण को शारीरिक नुकसान से बचाता है
  • इसका पोषण समर्थन प्रदान करना, जिससे भ्रूण ठीक से विकसित हो सके
  • अपशिष्ट हटाने का प्रबंधन करना और भ्रूण के चारों ओर की जगह को स्वच्छ रखना

गर्भावस्था में गर्भाशय

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार तेजी से बढ़ता है। पहली तिमाही में यह अंगूर के आकार जितना हो जाता है और पेल्विस में ही रहता है।

दूसरी तिमाही में, गर्भाशय पपीता जितना बड़ा हो जाता है और अब पेल्विस में नहीं समाता— इसकी ऊपरी किनारी नाभि और स्तनों के बीच के मध्य तक पहुंच जाती है।

जैसे-जैसे गर्भाशय बढ़ता है, अन्य आंतरिक अंगों को स्थानांतरित करता है और आस-पास की मांसपेशियों व स्नायुबंधन पर दबाव डालता है। इससे हल्के दर्द या खिंचाव महसूस हो सकते हैं, जो पूरी तरह सामान्य होते हैं।

बढ़ता गर्भाशय रक्त वाहिकाओं पर भी दबाव डालता है, जिससे कुछ महिलाओं की टाँगे सूज सकती हैं, मूत्राशय पर दवाब बढ़ने के कारण बार-बार पेशाब आना जरूरी हो जाता है, और यह सांस व हृदय पर भी असर डालकर सांस लेने और घूमने-फिरने में कठिनाई कर सकता है।

अगर महिला जुड़वाँ या एक से ज़्यादा बच्चे लिए हुए है, तो गर्भाशय और तेजी से फैलता है।


गर्भाशय के दबाव के कारण आपका नाभि बाहर आ सकता है, लेकिन जन्म के बाद फिर सामान्य हो जाता है।

मातृत्व की विशेषता: तीसरी तिमाही में गर्भाशय का विस्तार, तरबूज के समान


तीसरी तिमाही में, गर्भाशय तरबूज जितना बड़ा हो जाता है। संपूर्ण अवधि पर—जब शिशु पूरी तरह विकसित हो जाता है—गर्भाशय जघन क्षेत्र से लेकर पसलियों तक फैल जाता है। जैसे-जैसे शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है, शिशु पेल्विस में नीचे की ओर सरक जाता है और ग्रीवा फैलने लगती है, जिससे गर्भाशय की मांसपेशियाँ नवजात शिशु को बाहर धकेल सकें।

जन्म के बाद, गर्भाशय धीरे-धीरे अपने पूर्व गर्भावस्था के आकार, स्थिति और स्वरूप में लौट जाता है। इसे इन्वोल्यूशन कहते हैं और इसमें आमतौर पर लगभग 6 सप्ताह लगते हैं।

सामान्य गर्भाशयसंबंधी समस्याएँ

कई चिकित्सीय स्थितियाँ गर्भाशय को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे पॉलिप्स, एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉइड या कैंसर। कुछ समस्याएँ श्रोणि और निचले पेट में दर्द और असहजता पैदा करती हैं। अधिक गंभीर दर्द पेट के मध्य या पीठ के निचले हिस्से तक फैल सकता है। अन्य लक्षणों में अनियमित माहवारी और गर्भवती होने में कठिनाई शामिल हैं। यदि आपको ऐसे कोई भी लक्षण हों तो डॉक्टर से सलाह जरूरी है, क्योंकि कुछ समस्याएँ गंभीर हो सकती हैं, जबकि कुछ स्वयं ही सुलझ भी सकती हैं।

पीछे की ओर झुका गर्भाशय—जिसे टीप्ड युटेरस, टिल्टेड युटेरस या रेट्रोफ्लेक्स्ड युटेरस भी कहते हैं—वह होता है जो सर्विक्स से आगे की बजाय पीछे की ओर मुड़ता है। लगभग 4 में 1 महिलाओं का गर्भाशय झुका हुआ होता है।


झुका हुआ गर्भाशय एक सामान्य शारीरिक विविधता है और यह आमतौर पर महिला की गर्भधारण क्षमता में बाधा नहीं बनती।

पहले डॉक्टर मानते थे कि झुका गर्भाशय गर्भवती होने में रुकावट पैदा करता है, लेकिन अब ज्ञात है कि गर्भाशय की स्थिति से शुक्राणु के अंडाणु तक पहुँचने में कोई बाधा नहीं आती।

कभी-कभी एंडोमेट्रियोसिस, संक्रमण या पुरानी शल्य चिकित्सा के कारण स्कार टिशू (दाग वाला ऊतक) बनकर गर्भाशय को और अधिक झुका सकता है। इससे कुछ मामलों में शुक्राणु का अंडाणु तक पहुँच पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, फिर भी प्रजनन संभव है। ऐसे में, प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लेना हितकारी रहेगा।

फाइब्रॉइड्स

फाइब्रॉइड एक गैर-कैंसरयुक्त बढ़ोतरी या मायोमीट्रियम के किसी हिस्से में स्थानीय मोटापन होती है। फाइब्रॉइड के कारण अक्सर जरूरत से ज़्यादा माहवारी रक्तस्त्राव होता है।

फाइब्रॉइड्स के तीन मुख्य प्रकार हैं:

  • सबसिरोजल फाइब्रॉइड्स—ये गर्भाशय की सतह पर बनते हैं। यदि ये बड़े एवं असुविधाजनक हो जाएँ तो इनका शल्यचिकित्सा द्वारा इलाज किया जा सकता है।
  • इंट्रामुरल फाइब्रॉइड्स—ये गर्भाशय की मांसपेशीय दीवार के भीतर विकसित होते हैं और अल्ट्रासाउंड से पहचाने जा सकते हैं। इनके कारण अक्सर माहवारी के प्रवाह में वृद्धि हो जाती है। अधिकतर फाइब्रॉइड्स, रजोनिवृत्ति के बाद स्वतः कम हो जाते हैं।
  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स—ये एंडोमेट्रियम के ठीक नीचे बनते हैं और आमतौर पर केवल 1 से 1.5 सेंटीमीटर व्यास के होते हैं। अपने छोटे आकार के बावजूद ये भारी रक्तस्त्राव तथा माहवारी के बीच भी रक्तस्त्राव करा सकते हैं, क्योंकि एंडोमेट्रियम के नीचे का ऊतक रक्तस्त्रावी होता है। इन फाइब्रॉइड्स का इलाज दवा से किया जाता है, परंतु आवश्यकता होने पर इनका ऑपरेशन भी किया जा सकता है।

पॉलिप्स

ये आमतौर पर छोटे, सौम्य ट्यूमर होते हैं, लेकिन ये माहवारी के बीच, असामान्य रक्तस्त्राव या रजोनिवृत्ति के बाद भी रक्तस्त्राव करा सकते हैं। गर्भाशय में एक या कई पॉलिप्स हो सकते हैं। यह परिमेनोपॉज के समय अधिक होती है, जब एंडोमेट्रियम हर महीने नवीकृत नहीं रह पाता। वे ज़्यादातर गर्भाशय के भीतर ही रहते हैं, पर कभी-कभी गर्भाशय ग्रीवा से होकर योनि में आ सकते हैं। छोटे, बिना लक्षण वाले पॉलिप्स खुद ही ठीक हो सकते हैं।


अगर कैंसर का जोखिम न हो, तो छोटे पॉलिप्स का इलाज जरूरी नहीं है।

यदि पॉलिप्स बड़े हो जाएँ या समस्या पैदा करें, तो दवा से अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन शल्य चिकित्सा अधिक प्रभावी रहती है।

एंडोमेट्रियल हाइपरप्लेसिया एंडोमेट्रियम की असामान्य मोटाई है। यह अस्थायी हार्मोनल असंतुलन के कारण भी हो सकती है, पर यह प्रीकैंसर अवस्था भी दर्शा सकती है।

इसकी मुख्य पहचान माहवारी के बीच असामान्य रक्तस्त्राव या अधिक भारी माहवारी होती है। अत्यधिक वजन और मोटापा इसके जोखिम कारक हैं, जिससे एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। शरीर में फैट मास एस्ट्रोजेन की अधिकता करता है, जिससे प्रोेजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन में असंतुलन रहता है और गर्भाशय की परत जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है। जो महिलाएँ अधिक वजन वाली होती हैं, वे अल्ट्रासाउंड के जरिए इसका नियमित निरीक्षण करा सकती हैं।


रजोनिवृत्ति के बाद किसी भी रक्तस्त्राव की स्थिति में अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से जरूर विचार-विमर्श करें।

एंडोमेट्रियोसिस एक दीर्घकालिक सूजनकारी रोग है, जिसमें गर्भाशय की परत शरीर के अन्य हिस्सों में पनपने लगती है। एडिनोमायोसिस में यह परत गर्भाशय की मांसपेशियों में विकसित हो जाती है। इससे मासिक धर्म में ज्यादा मात्रा में व दर्द के साथ रक्तस्त्राव होता है, जो हर माह और गंभीर होता जाता है। एंडोमेट्रियोसिस करीब 10 में से 1 प्रजनन आयु वाली महिला को प्रभावित करता है और किशोरावस्था से ही हो सकता है।

क्या करें? अकसर डॉक्टर ओरल गर्भनिरोधक दवाएँ देते हैं, ताकि मासिक धर्म चक्र बाधित हो, गर्भाशय को विश्राम मिले और लक्षणों में राहत मिले। कृपया ध्यान रहें कि कुछ माहवारी दर्द सामान्य है। यदि आपको अपने अनुभवों को लेकर कोई भी शंका हो, तो अपने डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ से चर्चा करने में झिझकें नहीं।

गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर अब एक रोके जा सकने वाला रोग है। 1990 के दशक में मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के विरुद्ध टीका विकसित हो चुका है, जो अधिकतर कैंसरयुक्त सर्वाइकल कोशिकाओं में पाया जाता है और अब यह टीका व्यापक रूप से उपलब्ध है। पैप स्मीयर टेस्ट (पैपानिकोलाउ टेस्ट) में ग्रीवा के कुछ सेल्स लिए जाते हैं, जिससे एचपीवी संक्रमण से संबंधित कोशिकीय बदलाव पकड़े जा सकते हैं। ऐसे बदलावों को डिस्प्लेसिया कहते हैं, जो सामान्यतः लक्षणरहित होते हैं। नियमित पैप स्मीयर (हर तीन साल में एक बार) इन बदलावों का पता लगाने के सर्वोत्तम उपाय हैं।


अधिकांश मामलों में डिस्प्लेसिया घातक ट्यूमर में नहीं बदलते, क्योंकि रोग प्रतिकारक क्षमता उन्हें खत्म कर देती है।

यह जानना भी जरूरी है कि डिस्प्लेसिया एक ही दिन में कैंसर में नहीं बदलती, इसे सालों लग जाते हैं। अवांछित परिवर्तनों का जल्द पता लगाने और बचाव के लिए नियमित रूप से अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञा से मिलती रहें।

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https://www.verywellhealth.com/common-uterine-conditions-3521135
https://www.mayoclinic.org/tilted-uterus/expert-answers/faq-20058485
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