रोकथाम जांच समय के साथ गंभीर होने वाली बीमारियों के खिलाफ एक शक्तिशाली उपकरण है। इस लेख में, हम उन रोकथाम उपायों पर नज़र डालेंगी जिन्हें आप एचपीवी से जुड़े कैंसर से निपटने के लिए अपना सकती हैं।
पापानिकोलाउ (पैप) स्मीयर एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया है जो गर्भाशय ग्रीवा या मलाशय में कैंसर और कैंसर-पूर्व कोशिकाओं की खोज करती है। कोशिकाओं में असामान्यता का एक सामान्य कारण मानव पैपिलोमावायरस (एचपीवी) है। एक टेस्ट का उपयोग संक्रमण के प्रमाण की जांच करने और एचपीवी के प्रकार को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
मानव पैपिलोमावायरस (एचपीवी) सबसे आम यौन संचारित संक्रमण (एसटीडी) है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोग संक्रमित हैं। अधिकांश लोग नहीं जानते कि वे कब संक्रमित हुए, क्योंकि अधिकतर मामलों में कोई लक्षण नहीं होते और संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। एचपीवी केवल एसटीडी नहीं है क्योंकि यह त्वचा-से-त्वचा संपर्क द्वारा फैल सकता है, लेकिन आमतौर पर यौन संबंध के दौरान फैलता है।
150 से अधिक संबंधित वायरसों में से केवल कुछ ही गंभीर खतरा पैदा करती हैं।
क्यूटेनियस (त्वचा) एचपीवी प्रकार: ये सामान्य मस्से (गैर-कैंसरस ट्यूमर) त्वचा पर—अक्सर हाथ, पैर, बाजू और छाती पर—करते हैं।
म्यूकोसल (जननांग) एचपीवी प्रकार: म्यूकोसल एचपीवी केवल म्यूकस झिल्लियों को—जैसे जननांग, गुदा, मुंह और गले की लाइनिंग—संक्रमित करते हैं। इन्हें कम-जोखिम और उच्च-जोखिम वाले वायरस में बांटा गया है।
21 वर्ष से कम उम्र में एचपीवी संक्रमण काफी सामान्य है, और ये आमतौर पर इलाज के बिना ही ठीक हो जाते हैं। चूंकि वायरस सामान्य है, इसलिए इस उम्र के अधिकांश लोग सकारात्मक परीक्षण पाते हैं। हालांकि, 25 वर्ष से कम उम्र में स्क्रीनिंग की आमतौर पर सिफारिश नहीं की जाती।
पैप स्मीयर (या पैप टेस्ट) एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया है, जो कैंसर और कैंसर-पूर्व कोशिकाओं का पता लगाने के लिए होती है। इसका नाम इसके आविष्कारक जॉर्जीओस निकोलाउ पापानिकोलाउ (1883–1962) के नाम पर है। पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट अलग-अलग या एक साथ (को-टेस्टिंग) किए जा सकते हैं। हालांकि ये दोनों अलग-अलग कार्य करते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य समान है।
पैप स्मीयर गर्भाशय ग्रीवा या मलाशय में असामान्य कोशिकाओं की पहचान करता है। नियमित जांच से कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ने की संभावना बढ़ जाती है, जहां उससे उबरने का सबसे अच्छा मौका होता है। पैप स्मीयर से कैंसर-पूर्व कोशिकाएं भी समय रहते पकड़ में आ जाती हैं, और इन्हें हटाने से 95% मामलों में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर रोका जा सकता है।
एचपीवी टेस्ट एचपीवी कोशिकाओं के डीएनए का पता लगाने के लिए किए जाते हैं। यदि पैप स्मीयर से असामान्य गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं पाई जाती हैं, तो एचपीवी टेस्ट से यह मालूम हो जाता है कि कौन सा एचपीवी है और क्या वह कैंसर का कारण बन सकता है।
स्पेकुलम एक चिकित्सकीय उपकरण है जिसका इस्तेमाल स्त्री रोग विशेषज्ञ योनि मार्ग खोलकर गर्भाशय ग्रीवा को देखने के लिए करती हैं। पैप स्मीयर या एचपीवी टेस्ट के लिए कोशिकाएं इकट्ठा करने हेतु, स्पेकुलम योनि में डाला जाता है और स्क्रैपर या ब्रश के माध्यम से ग्रीवा से कोशिकाओं का छोटा सा नमूना लिया जाता है। ये कोशिकाएं जांच के लिए प्रयोगशाला भेजी जाती हैं।
21 वर्ष की उम्र पूरी करते ही महिलओं को हर तीन साल में एक बार पैप स्मीयर कराने की सलाह दी जाती है।
30 साल की उम्र के बाद, हर 3 साल में पैप स्मीयर को हर पांच साल में एचपीवी टेस्ट (या दोनों टेस्ट मिलाकर) से बदला जा सकता है। यदि महिला की उम्र 65 हो गई है और पिछली तीन पैप रिपोर्ट्स लगातार सामान्य आई हैं, तो टेस्ट करवाना बंद किया जा सकता है।
हर महिला को नियमित जांच की सलाह दी जाती है, भले ही वह वर्जिन हो, एचपीवी वैक्सीनेशन करवाया हो या रजोनिवृत्ति हो चुकी हो।
आपकी डॉक्टर अधिक बार पैप और एचपीवी टेस्ट कराने की सलाह दे सकती हैं, यदि:
जिन महिलाओं में पहले से कैंसर-पूर्व कोशिकाएं या ग्रीवा का कैंसर रहा है, उन्हें समय-समय पर टेस्ट करना जरूरी हो सकता है ताकि कोई बदलाव तुरंत पकड़ में आ जाए।
एचआईवी से पीड़ित महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और अन्य बीमारियों के ज्यादा जोखिम में होती हैं। एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने पर तुरंत एक पैप टेस्ट और फिर 6 से 12 महीनों के बीच दोबारा पैप टेस्ट कराना चाहिए। अगर 3 लगातार पैप नॉर्मल आते हैं, तो हर 3 साल में टेस्ट जारी रखें।
चाहे अंग प्रत्यारोपण, कीमोथेरेपी या स्टेरॉयड उपयोग की वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर हुआ हो, तो हल्का भी एचपीवी संक्रमण अपने आप ठीक नहीं हो सकता।
डाईएथिलस्टिलबोईस्ट्रॉल (DES) महिलाओं के हार्मोन ईस्ट्रोजन का सिंथेटिक रूप है। 1940 से 1971 (कुछ यूरोपीय देशों में 1978 तक) यह गर्भवती महिलाओं को गर्भपात, समयपूर्व प्रसव और संबंधित समस्याओं से बचाने के लिए दिया जाता था।
अब यह सर्वविदित है कि DES एक एंडोक्राइन (हॉर्मोन) प्रणाली को प्रभावित करने वाला रसायन है, जो कैंसर, जन्म दोष और अन्य विकास संबंधी असामान्यताएं पैदा करता है।
पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट आमतौर पर पांच मिनट में हो जाते हैं। सुचारू जांच के लिए आप कुछ बातें पहले से कर सकती हैं।
आप कौन सी दवाएं (यदि कोई) ले रही हैं, यह आपकी डॉक्टर को पता होना अहम है—जैसे गर्भनिरोधक गोलियां—क्योंकि इनमें ईस्ट्रोजन या प्रोजेस्टिन हो सकते हैं, जो टेस्ट पर असर डाल सकते हैं। अगर आपकी पिछली कोई रिपोर्ट असामान्य आई हो, तब भी डॉक्टर को बताएं।
संभोग से बचें परीक्षा से कम से कम 24 घंटे पहले तक, क्योंकि इसका भी परिणामों पर असर पड़ सकता है। कोई भी स्पर्मिसाइड युक्त उत्पाद न प्रयोग करें और डूशिंग कतई न करें (डूशिंग की आमतौर पर सिफारिश नहीं की जाती)। यदि आप वर्जिन हैं या आपका कद छोटा है, तो डॉक्टर को कहें कि वह छोटा स्पेकुलम इस्तेमाल करें। यह जांच से पहले बता दें।
कोशिश करें कि टेस्ट उन दिनों पर ना रखें, जब आपके पीरियड शुरू होने की संभावना हो। टेस्टों को इन दिनों भी किया जा सकता है, लेकिन परिणाम उतने सटीक नहीं हो सकते।
ज्यादातर मामलों में, गर्भावस्था के 24वें सप्ताह तक पैप या एचपीवी टेस्ट कराना सुरक्षित है। इसके बाद टेस्ट अधिक असुविधाजनक हो सकते हैं। बच्चे के जन्म के 12 सप्ताह बाद ही जांच कराएं, अन्यथा परिणाम गलत आ सकते हैं।
अगर आप शांत रहती हैं, तो यह टेस्ट अधिक आराम से हो सकता है। श्वास लें, शांत रहें। टेस्ट दर्दनाक नहीं होना चाहिए, हां असुविधा हो सकती है। कुछ महिलाओं को हल्की चुभन महसूस हो सकती है। अगर आपको दर्द को लेकर चिंता है, तो जांच के एक घंटा पहले ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक ले सकती हैं।
अगर आपके साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ है या आपको चिंता की समस्या है, तो डॉक्टर को बताएं। वे टेस्ट को अधिक आरामदायक बना सकती हैं।
अगर जांच के बाद स्पॉटिंग हो, तो घबराएं नहीं—यह सामान्य है। लेकिन अगर ज्यादा खून आए तो डॉक्टर से संपर्क करें।
परिणाम मिलने में आमतौर पर 1 से 3 हफ़्ते लगते हैं। तीन संभावनाएं हो सकती हैं:
नकारात्मक/सामान्य परिणाम: जांच में केवल सामान्य ग्रीवा कोशिकाएं मिली हैं। अगली पैप स्मीयर या पैल्विक जांच तक किसी और उपचार या जांच की जरूरत नहीं।
अनिश्चित: जांच से यह नहीं पता चल पा रहा कि आपकी ग्रीवा से ली गई कोशिकाएं आम हैं या असामान्य। ऐसे में डॉक्टर तुरंत और जांच करा सकती हैं या 6-12 महीनों बाद दोबारा बुला सकती हैं।
सकारात्मक/असामान्य परिणाम: अगर असामान्य या अनोखी कोशिकाएं मिलती हैं, तो और जांच की जरूरत हो सकती है। इसका मतलब यह नहीं कि आपको कैंसर है, लेकिन यदि खतरनाक प्रकार का एचपीवी शरीर में है तो जोखिम अधिक है।
अगर 3 हफ़्ते बाद भी डॉक्टर की ओर से कोई खबर नहीं मिले, तो खुद फोन करके रिजल्ट पूछें।
अगर परिणाम हल्के संक्रमण का संकेत देते हैं, तो डॉक्टर एक साल बाद फिर से स्क्रीनिंग की सलाह दे सकती हैं। अगर गंभीर परिवर्तन या कैंसर जैसी कोशिकाएं मिलती हैं, तो डॉक्टर कोलपोस्कोपी की सिफारिश कर सकती हैं।
यह प्रक्रिया आमतौर पर 15 मिनट की होती है और पैल्विक जांच जैसी ही होती है—डॉक्टर स्पेकुलम डालकर ग्रीवा को देखती हैं। कभी-कभी ग्रीवा पर हल्का सिरका या आयोडीन का घोल लगाया जाता है ताकि असामान्य कोशिकाएं और स्पष्ट दिख सकें। इससे जलन या चुभन महसूस हो सकती है।
आवश्यकता पड़ने पर ऊतक का छोटा टुकड़ा लेबोरेटरी जांच के लिए लिया जा सकता है, इसे बायोप्सी कहते हैं। अगर एक से अधिक जगह संदेहास्पद लगे, तो अनेक बायोप्सी की जा सकती हैं।
कोलपोस्कोपी के परिणाम तय करेंगे कि क्या आगे और जांच या उपचार की जरूरत है।
स्क्वैमस कोशिकाएं पतली और चपटी होती हैं, जो त्वचा की सबसे बाहरी परत बनाती हैं। इन असामान्यताओं को मुख्य रूप से निम्न वर्गों में बांटा जाता है:
एटिपिकल स्क्वैमस सेल्स (ASC) पैप स्मीयर में सबसे आम असामान्य परिणाम:
स्क्वैमस इंट्रापिथेलियल लीज़न (SIL) स्क्वैमस कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है। इन्हें लो-ग्रेड (LSIL) और हाई-ग्रेड (HSIL) में बांटा जाता है:
कार्सिनोमा इन साइटू (CIS) गंभीर रूप से असामान्य कोशिकाओं को दर्शाता है, जो कैंसर जैसी दिखती हैं लेकिन ग्रीवा से आगे नहीं फैली होतीं।
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC)—जिसे एपिडर्मॉइड कार्सिनोमा भी कहा जाता है—कैंसर है, जो स्क्वैमस कोशिकाओं से शुरू होता है।
ग्लैंड्युलर कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय की लाइनिंग में मिलती हैं। इन कोशिकाओं में होने वाले असामान्य बदलाव ग्लैंड्युलर ऊत्तकों में पैदा होते हैं।
एटिपिकल ग्लैंड्युलर सेल्स (AGC) वे ग्लैंड्युलर कोशिकाएं होती हैं, जो सामान्य नहीं दिखतीं, पर असामान्यता का महत्त्व स्पष्ट नहीं होता। एंडोसर्वाइकल एडेनोकार्सिनोमा इन साइटू (AIS) वे गंभीर रूप से असामान्य कोशिकाएं हैं, जो अभी ग्लैंड्युलर ऊतक से आगे नहीं फैली होतीं।
एडेनोकार्सिनोमा कैंसर है, जो ग्लैंड्युलर कोशिकाओं में शुरू होता है। यह शब्द सिर्फ एंडोसर्वाइकल कैनाल का कैंसर नही, बल्कि एंडोमेट्रियल, एक्स्ट्रायूटेराइन और अन्य कैंसर भी शामिल कर सकता है।
हम सभी व्यस्त जीवन जीती हैं, और अक्सर दर्द व असहजता को नजरअंदाज कर देती हैं, या छिपी बीमारियों की जांच कराने के बारे में सोचती भी नहीं हैं। लेकिन नियमित जांच आपको गंभीर बीमारी से बचा सकती है।
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