हम में से कई कभी-कभी शराब का आनंद लेते हैं। लगभग 4000 ईसा पूर्व से ही शराब का सेवन लगभग सभी मानव सभ्यताओं का एक केंद्रीय हिस्सा रहा है। कृषि सभ्यताओं का विकास अनाज की खेती के आधार पर हुआ ताकि रोटी बन सके और, प्रमाण बताते हैं, शराब भी बनाई जा सके। शराब का सबसे प्रारंभिक उपयोग भी सामाजिक गतिविधि रहा है, जिसे स्थानीय सांस्कृतिक मानदंडों द्वारा नियंत्रित किया गया।
21वीं सदी में, एक वैश्विक महामारी के बीच, हमारा शराब से रिश्ता बदल रहा है। हम में से कुछ ज्यादा पी रही हैं, और कई महिलाएँ अकेलेपन और पाबंदियों के कारण अकेले पी रही हैं। हम इसलिए पीती हैं क्योंकि इससे जो शांति और नशे की भावना मिलती है, वह हमें पसंद आती है, लेकिन असल में शराब हमारे शरीर पर क्या असर डालती है?
जानबूझकर बनाई गई एल्कोहलिक ड्रिंक्स के सबसे पुराने प्रमाण नवपाषाण काल (करीब 10,000 ईसा पूर्व) के हैं। बिना किसी अपवाद के, हर मानव सभ्यता ने नशे देने वाले पदार्थों का उपयोग किया है और सबसे सामान्य इनमें से शराब है। यह इतिहासभर अनुष्ठानों, दवाओं और भुगतान के रूप में प्रयोग होती रही है। आज भी, इसके कई उपयोग जस के तस हैं।
सभी मूड बदलने वाले पदार्थों में, शराब ही सबसे सामाजिक रूप से स्वीकार्य है—जब तक कि इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाए। लेकिन यही शराब दुरुपयोग की भी सबसे आम शिकार है। जरूरत से ज्यादा पीने से अधिक से अधिक सिरदर्द और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है। शराब के दुरुपयोग ने कई जीवन उजाड़े हैं, चाहे वे युवा हों या वृद्ध। ज्यादातर देशों में शराब की बिक्री और सेवन के लिए कानून हैं, फिर भी शराब से जुड़ी दुर्घटनाएँ और मौतें आम हैं। कई कम हानिकारक पदार्थों पर इससे ज्यादा कड़ी पाबंदी है या वे अवैध हैं। शराब के प्रभावों को समझकर हम अपनी खुद की खपत को नियंत्रित कर सकती हैं।
कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया की ज़िंदगी को जटिल बना दिया है। बहुत से देशों में शराब का सेवन बढ़ गया है, वहीं इसके साथ नशे की लत और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी। वायरस ने कई जिंदगियाँ छीन लीं और और भी अधिक लोगों की आजीविका छीन ली। अलगाव और क्वारंटीन ने हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाला है। कोई हैरानी नहीं कि कुछ महिलाओं ने खुद को ढांढस देने के लिए शराब पीना शुरू किया। लेकिन अकेले पीना जल्दी ही समस्या बन सकती है। आगे पढ़िए जिससे आप शराब के साथ अपने रिश्ते के बारे में सही निर्णय ले सकें।
हफ्ते में कुछ पैग पीना शरीर को आम तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाएगा, लेकिन एक बार में बहुत ज्यादा या अक्सर पीना आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। अधिक मात्रा में शराब आपके लिवर पर दबाव डालती है और हार्मोनल संतुलन बिगाड़ती है। हालांकि पुरुष स्त्रियों की तुलना में आम तौर पर ज्यादा पीते हैं, लेकिन महिलाओं में शराब की सहनशीलता कम होती है और वे लत का शिकार जल्दी होती हैं। कोई भी व्यक्ति कितनी शराब सुरक्षित रूप से पी सकती है, यह उसके शरीर के वजन और लिंग पर निर्भर करता है। विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि मौजूदा स्वास्थ्य संकट के चलते लोग शराब को तनाव से निपटने का जरिया बना रही हैं, जिससे दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
लिवर मुख्य रूप से हमारे रक्त से जहरीले पदार्थों को छानने का काम करता है। यह प्रोटीन, एंजाइम और हार्मोन भी बनाता है, जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं। हम जो शराब पीती हैं, उसका लगभग 90% लिवर प्रोसेस करता है। बाकी 10% पसीने, पेशाब और सांस के माध्यम से बाहर आ जाती है।
लिवर एक बार में केवल एक सीमित मात्रा में एल्कोहल प्रोसेस कर सकता है—प्रत्येक ड्रिंक के लिए लगभग एक घंटा लगता है। अगर आप ज्यादा पीती हैं, तो अतिरिक्त शराब आपके रक्त में घूमती रहती है, जिससे दिल और दिमाग प्रभावित होते हैं, और नशा चढ़ता है। लगातार ऍवम् लंबे समय तक शराब पीने से लिवर को नुकसान होता है और 'स्कैरिंग' हो सकती है।
महिलाओं में हल्के से मध्यम शराब सेवन पर किए गए एक अध्ययन से पता चला कि यह किशोरावस्था से गुजरती लड़कियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है और व्यस्क स्त्रियों में हार्मोनल चक्रों के साथ-साथ मेनोपाज के लक्षणों को भी बिगाड़ सकता है। यही अध्ययन बताता है कि एल्कोहल महिलाओं के हड्डियों के स्वास्थ्य को खराब करती है और विकासशील शरीरों में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा कर सकती है।
शराब पीना प्रोजेस्टेरॉन के उत्पादन को भी दबाता है—यह हार्मोन ओव्यूलेशन और स्वस्थ गर्भावस्था के लिए ज़रूरी है। मध्यम से अधिक शराब पीने को, प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं में प्रोजेस्टेरॉन की कम मात्रा से जोड़ा गया है।
1970 के दशक में यह पहचाना गया कि गर्भावस्था के समय शराब पीना माँ और भ्रूण, दोनों के लिए खतरनाक है। इससे पहले इस बारे में लगभग कोई जानकारी नहीं थी। अब कई जगहों पर गर्भावस्था के दौरान शराब पीना सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है।
अगर आप गर्भावस्था के समय शराब पीती हैं, तो वह नाल के जरिये बच्चे तक पहुँच जाती है। लिवर गर्भावस्था के अंतिम चरण में ही विकसित होता है, जिससे भ्रूण शराब प्रोसेस नहीं कर पाता। पहली तिमाही में शराब पीना विशेष रूप से खतरनाक है और इससे गर्भपात, समय से पूर्व जन्म और जन्मजात विकृतियाँ हो सकती हैं। गर्भावस्था के बाद के चरणों में भी शराब पीना बच्चे में जन्म के बाद तक प्रभाव छोड़ सकता है। पहली तिमाही के बाद अधिक शराब पीने से बच्चा कम वजन का हो सकता है और उसमें शारीरिक व मानसिक विकास की समस्याएँ हो सकती हैं।
कुछ स्रोत कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान थोड़ी मात्रा में शराब पीना हानिरहित है। लेकिन छोटी मात्रा में शराब सेवन भी सुरक्षा के लिहाज से चिंता बढ़ा सकता है, इसलिए सबसे सुरक्षित विकल्प है कि इस समय पूरी तरह से शराब न पीएं।
शराब रक्तप्रवाह के जरिए माँ के दूध में पहुंच जाती है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, दिन में एक मानक ड्रिंक तक पीना शिशु के लिए जोखिम भरा नहीं है, पर सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि स्तनपान के दौरान शराब से बचें। अगर कभी आप पी भी लें, तो समय का खयाल रखें। एक मानक ड्रिंक के बाद, शराब 2–3 घंटे तक दूध में पाई जा सकती है, और पीने के 30–60 मिनट बाद अपने चरम पर होती है।
इससे ज्यादा पीना शिशु की नींद के चक्र या विकास में बाधा डाल सकता है। अधिक मात्रा में शराब पीना, स्तनपान करने वाली महिलाओं में दूध उतरने और स्तन से निकलने की क्रिया (लेट-डाउन रिफ्लेक्स) को भी प्रभावित करता है, जिससे दूध बनने की मात्रा और अवधि बदल सकती है।
अधिकांश स्वास्थ्य संस्थाएँ सलाह देती हैं कि महिलाएँ औसतन एक और पुरुष दो ड्रिंक रोजाना से ज़्यादा न लें। (फिर भी, अपने शरीर के प्रकार और आकार को ध्यान में रखें) भारी मात्रा में पीना और बिंज ड्रिंकिंग हड्डियों का नुकसान, लिवर डैमेज, पुरानी सूजन, यौन समस्याएँ, डायबिटीज़ और कैंसर, सभी के जोखिम को बढ़ाता है। यहां तक कि मध्यम शराब सेवन भी आपकी नींद पर असर करता है। इससे भले ही आप जल्दी और गहरी नींद में जाएँ, लेकिन यह आरईएम नींद, जो याददाश्त, सीखने और मूड के लिए महत्वपूर्ण है, को घटाता है और आपको रात में पेशाब के लिए उठना पड़ सकता है।
बहुत ज्यादा पीना 'शराब की लत' का कारण बन सकता है। अब हम समझने लगे हैं कि लत सिर्फ 'आदत या नैतिक असफलता' नहीं, बल्कि यह तब पनपती है जब जिनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं होतीं, वे अपने दर्द को दबाने के लिए किसी उपलब्ध पदार्थ का उपयोग करने लगती हैं—यह एक तरह का सेल्फ-मेडिकेशन है।
दुर्भाग्यवश, ऐसे में शराब ज्यादा से ज्यादा केवल एक तात्कालिक राहत दे सकती है, समाधान नहीं। नशे की लत की जड़ें गहरी होती हैं। शराब छोड़ने के लिए पहले उस असली वजह को देखना जरूरी है, जिसने हमें इसकी ओर मोड़ा।
अगर आपको लगे कि आप बहुत ज्यादा पी रही हैं और बदलाव के लिए तैयार हैं, तो सहायता तलाशें। हम सभी मनुष्य हैं और भले ही कोई और हमारी समस्याएं हल न कर सके, पर हमें अकेले नहीं रहना चाहिए। सुधार (रिकवरी) का बड़ा हिस्सा आपका समुदाय है, यही वजह है कि 'अल्कोहलिक्स एनॉनिमस' (AA) इतना सफल रहा है। AA की बैठकें आपको जजमेंट के बिना सुरक्षित स्थान देती हैं, जहाँ अपनी पीड़ा और सफलता साझा कर सकती हैं। अगर AA आपके लिए नहीं है, तो कोई और सपोर्ट चुनें—व्यक्तिगत काउंसलिंग, समूह थेरेपी या पुनर्वास (रीहैब), आदि। लक्ष्य सिर्फ पीना बंद करना नहीं, बल्कि दर्द की जड़ों को ठीक करना है ताकि उसे छुपाने के लिए नशे की जरूरत ही न रहे। ऐसे लोग जो किसी शराबी के बेहद करीबी हैं, उनके लिए भी सपोर्ट ग्रुप्स मौजूद हैं।
केवल शराबी ही नहीं, नियमित रूप से पीने वाली महिलाओं को भी शराब नुकसान पहुँचा सकती है। पीने का यह असर आपके जीवन को नुकसान दिए बिना भी आपको बीमार कर सकता है। यहाँ कुछ सुझाव हैं कि आप सुरक्षित रूप से शराब कैसे पी सकती हैं—
आपके लिवर को टॉक्सिन्स फिल्टर करने के लिए पर्याप्त ग्लूकोज चाहिए। पीने से पहले खाना खाने से आपके द्वारा पी गई शराब की मात्रा नहीं बदलेगी, लेकिन यह आपके लिवर को शराब प्रोसेस करने में मदद करेगा। अगर आप ज्यादा पी भी लें, तो सोने से पहले कुछ खा लें; इससे शराब का अवशोषण सीमित होगा और भारी हैंगओवर से बचा जा सकता है।
शराब पेशाब लाने वाली (डाययूरेटिक) है। शराब पीने पर शरीर बार-बार पेशाब करता है, जिससे आप डिहाइड्रेट हो जाती हैं और जरूरी मिनरल्स व विटामिन्स की भी कमी हो सकती है। पानी या मिनरल्स युक्त ड्रिंक्स लेने से शराब से होने वाले नुकसान से बचाव होता है। सामान्य नियम है—हर एक पैग के बाद एक गिलास पानी।
शराब पीने का माहौल आपके व्यवहार पर बहुत असर डाल सकता है। यदि आप शराब ज्यादा पीने वालों के बीच ज्यादा समय बिताती हैं, तो खुद भी ज्यादा पीने लगेंगी। आप समझें कि पर्यावरण आपके निर्णयों को कैसे प्रभावित करता है, इससे आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि आप सच में अपने लिए क्या चाहती हैं।
अक्सर शराब को सामाजिक संबंधों को आसान बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीने से हम रिलैक्स महसूस करती हैं, झिझक कम होती है और दूसरों से बातचीत आसान होती है। कई बार लोग तनाव, दु:ख, चिंता या अवसाद से निपटने के लिए भी पीती हैं। गौर करें कि आप क्यों पी रही हैं और अपने आप से ईमानदार रहें। अगर आप शराब का इस्तेमाल समस्याओं से सामना करने के लिए कर रही हैं, तो सचमुच उनसे निपटने के उपाय शुरू करें और जरूरी समर्थन लें।
एक स्मोकर ब्रेकफास्ट के बाद कॉफी के साथ सिगरेट पीने के लिए लालायित हो सकती है। इस संदर्भ में 'ब्रेकफास्ट के बाद कॉफी पीना' एक बिहैवियरल ट्रिगर है। ये आदतें हर व्यक्ति में अलग हो सकती हैं। अगर आप अपनी शराब की खपत कम करना चाहती हैं, तो कोई व्यवहारिक ट्रिगर पहचानें और 'फ्रिक्शन' बढ़ा दें—मतलब पीना थोड़ा कठिन बना दें। उदाहरण के लिए, अगर आप रोज़ खाना खाते ही एक पैग पीती हैं, तो शराब को किचन के बजाय घर के किसी दूर कोने में रखें। आदतें रिपीटिशन से बनती हैं, और रिपीटिशन से ही बदली भी जा सकती हैं।
अगर शराब आपके जीवन में बहुत जगह घेर रही है, तो शायद आप दूसरों से अब यह छिपाने लगी हैं कि कितनी पीती हैं। खुद से पूछें—अगर मैंने सारी शराब सबके सामने पी, तो क्या होगा?
असल बात है, एक कदम पीछे हटकर देखना कि शराब के साथ हमारा रिश्ता क्या है और इसका हम पर क्या असर है। एक न एक वजह से शराब की आदत में फंसना बहुत आसान है, विशेषकर महामारी के तनाव और अकेलेपन में। शराब को अपने खाने का स्वाद बढ़ाने और सामाजिक मेलजोल का जरिया बनाएँ, मगर इसे अपनी सेहत और खुशहाली को बर्बाद न करने दें।
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