अगर आप सोच रही हैं, 'गर्भावस्था में क्या खा सकती हूँ?' और 'गर्भावस्था में किन चीज़ों से बचना चाहिए?', तो आप एकदम सही जगह आई हैं। इस लेख में आप गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण संबंधी सिफारिशें, किन खाने की वस्तुओं से बचना चाहिए और आहार में शामिल करने योग्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों व उत्पादों के बारे में जानेंगी।
अगर आपने हाल ही में पता लगाया है कि आप गर्भवती हैं – बधाई हो! गर्भावस्था मानसिक, भावनात्मक और सबसे महत्वपूर्ण, शारीरिक रूप से परिवर्तनकारी समय होता है। आपको अपनी जीवनशैली को अपने अंदर पल रही नन्ही जान के अनुसार ढालना पड़ता है।
इस समय, आपके मन में कई सवाल होंगे, जिनमें से कुछ आपकी डाइट को लेकर भी होंगे। बढ़ी हुई पोषण संबंधी ज़रूरतें और स्वास्थ्य जोखिम पूरे गर्भकाल में आहार में बदलाव की माँग करते हैं।
गर्भावस्था का एक शुरुआती लक्षण है आपकी भूख और खाने की आदतों में बदलाव। आपको ज़्यादा भूख लग सकती है या खास खानों की इच्छा हो सकती है, या फिर सुबह की मतली के चलते आप दिनभर केवल वही चीज़ें खा पाती होंगी जो उल्टी न कराएँ।
गर्भावस्था शरीर के लिए सबसे ज़्यादा ऊर्जा माँगने वाली प्रक्रिया है। आपको विकसित हो रही नाल और भ्रूण की ज़रूरतों को पूरे गर्भकाल में पूरा करना पड़ता है।
आपने सुना होगा कि गर्भावस्था के दौरान “दो लोगों के लिए” खाना चाहिए, लेकिन ऐसा बिल्कुल ज़रूरी नहीं। अधिकांश वयस्क महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 1,600 से 2,400 कैलोरी लेनी चाहिए, जो उनकी शारीरिक सक्रियता पर निर्भर करता है। गर्भावस्था के पहले तिमाही के बाद सिर्फ 300-450 कैलोरी अतिरिक्त लेनी चाहिए। यानी लगभग एक एग-अवोकाडो टोस्ट या एक औसत साइज की चॉकलेट बार प्रतिदिन।
गर्भवती महिलाओं के लिए सामान्य डाइट के सुझाव:
गर्भावस्था में सबसे बड़ा सवाल है – ‘किन खाने-पीने की चीज़ों से बचना है?’ वैसे तो, जिन चीज़ों में संक्रमण की आशंका अधिक हो, उनसे बचना चाहिए।
कुछ उदाहरण:
कच्चे मांस में सैल्मोनेला या लिस्टेरिया जैसे हानिकारक जीवाणु हो सकते हैं, जो गर्भावस्था में खाद्य विषाक्तता का खतरा बढ़ाते हैं। गर्भावस्था में प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो जाती है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। भ्रूण की रक्षा प्रणाली भी कमजोर होती है, जिससे बैक्टीरियल व पेरासिटिक इन्फेक्शन गंभीर समस्या बन सकते हैं।
पारा रक्त में जमा हो सकता है और भ्रूण की नसों को नुकसान पहुँचा सकता है। पारे से भरपूर मछली खाने से बचें।
इन्हीं कारणों से कच्चा समुद्री भोजन भी न लें।
इनमें लिस्टेरिया मौजूद हो सकती है, जो गर्भपात, मृत शिशु या नवजात शिशु में गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। पाश्चराइजेशन से इनका खतरा खत्म हो जाता है।
इनसे बचें:
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इनमें टॉक्सोप्लाज़्मा नामक परजीवी हो सकता है, जो टॉक्सोप्लाज़्मोसिस नामक इंफेक्शन कर सकता है। यह संक्रमण जन्म दोष या गर्भपात करा सकता है।
हमेशा अपने फल व सब्ज़ियों को स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धोएँ। भोजन से पहले हाथ भी अच्छे से धोएँ।
गर्भावस्था में शराब पूरी तरह वर्जित है। इसका सेवन भ्रूण के विकास को प्रभावित करने वाले फेटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर्स से जुड़ा है।
अत्यधिक कैफीन (200 मिग्रा दैनिक से अधिक, या 2-3 कप कॉफी) का संबंध गर्भपात व कम जन्म वजन के खतरे से है।
गर्भावस्था पोषण का सबसे अहम हिस्सा है संतुलित आहार लेना और हर दिन अपनी पोषण संबंधी ज़रूरतें पूरी करना।
संतुलित डाइट में शामिल करें:
अपने गर्भावस्था आहार में अच्छी तरह पकी हुई मछली, अंडे, पाश्चराइज्ड दही को जगह दें। आप पकी हुई मुर्गी, कम वसा वाला मटन/पोर्क, अनाज, टोफू, टेम्पेह भी सुरक्षित रूप से खा सकती हैं। प्रोटीन विकासशील शिशु के लिए आवश्यक बिल्डिंग ब्लॉक है।
साबुत अनाज में फाइबर, विटामिन व मिनरल (बी विटामिन, आयरन, मैग्नीशियम, सेलेनियम) पर्याप्त मात्रा में होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स व लंबे समय तक ऊर्जा देने वाले कार्ब्स भी प्रदान करते हैं।
इनका सेवन करें (यदि एलर्जी या असहिष्णुता न हो):
कच्चा व पका हुआ, अच्छी तरह धोया हुआ ताजा फल और सब्ज़ियाँ गर्भावस्था के दौरान डाइट का ज़रूरी हिस्सा बनी रहनी चाहिए। इनमें विटामिन व मिनरल प्रचुर मात्रा में, फाइबर उच्च और कैलोरी कम होती है तथा एंटीऑक्सिडेंट्स भी मिलते हैं। सब्ज़ी-फलों का फाइबर ग्लूकोज़ स्पाइक्स नियंत्रण में मदद करता है और धीरे-धीरे ऊर्जा देता है।
इन्हें लें:
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हालाँकि आपको संभावित असहिष्णुता के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, फिर भी डेयरी उत्पाद गर्भवती महिलाओं के लिए कई लाभकारी हैं। डेयरी में भ्रूण की हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम, वृद्धि के लिए प्रोटीन, कैल्शियम अवशोषण के लिए विटामिन डी, पाचन के लिए प्रोबायोटिक्स और मस्तिष्क विकास के लिए आयोडीन पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
यदि किसी कारणवश आप डेयरी नहीं ले सकतीं, तो कैल्शियम सप्लीमेंट्स या फोर्टिफाइड प्लांट मिल्क/दही अपनाएँ।
इनका सेवन करें:
स्वस्थ वसा गर्भावस्था में भ्रूण की वृद्धि, खासकर मस्तिष्क और आँखों के लिए बहुत ज़रूरी है।
इनका सेवन करें:
सामान्य डाइट के अलावा, आपका डॉक्टर कुछ विटामिन व मिनरल के सप्लीमेंट्स भी सुझा सकती हैं। भ्रूण के बढ़ते विकास के साथ उसकी पोषण संबंधी आवश्यकता बढ़ती है, और कभी-कभी भोजन से पूरी करना कठिन हो सकता है। सप्लीमेंट शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर से परामर्श करें।
गर्भवती महिलाओं के लिए ज़रूरी सप्लीमेंट्स:
400-800 माइक्रोग्राम प्रतिदिन लें
फोलिक एसिड भ्रूण में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (जैसे स्पाइना बिफिडा) से बचाव के लिए ज़रूरी है। यदि आप जल्द गर्भधारण की योजना बना रही हैं या गर्भवती होने की पुष्टि हो गई है, तुरंत फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेना शुरू करें।
27 मिलीग्राम प्रतिदिन लें
गर्भावस्था में आयरन की ज़रूरतें काफी बढ़ जाती हैं। यह खनिज माँ के रक्त की मात्रा बढ़ाने और भ्रूण/नाल को पोषण देने के लिए ज़रूरी है। इससे माँ को एनीमिया से बचाव और बच्चे तक ऑक्सीजन पहुँचाने में सहायता मिलती है।
1,000 मिलीग्राम प्रतिदिन लें
गर्भावस्था से लेकर स्तनपान तक कैल्शियम की ज़रूरत रहती है। यह शिशु की हड्डियाँ व दाँत बनाने के लिए आवश्यक है। पर्याप्त कैल्शियम न लेने पर, शरीर खुद की हड्डियों से कैल्शियम लेकर शिशु को देता है, जिससे भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा हो सकता है।
200-300 मिलीग्राम DHA प्रतिदिन लें
ये शिशु के मस्तिष्क व आँखों के विकास के लिए अहम हैं। साथ ही, समयपूर्व प्रसव व कम जन्म वजन की संभावना कम करते हैं। तीसरे तिमाही में DHA भ्रूण के दिमागी विकास के लिए प्रमुख है।
10 माइक्रोग्राम प्रतिदिन लें
यह कैल्शियम के साथ मिलकर शिशु की हड्डियों/दाँत बनाता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और प्रसव संबंधी दिक्कतों जैसे गर्भावधि डायबिटीज व प्रीक्लेम्प्सिया के खतरे को कम करती है।
गर्भावस्था में भोजन से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है मॉर्निंग सिकनेस। लगभग 70% गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में किसी न किसी समय मॉर्निंग सिकनेस होती है, आमतौर पर पहले तिमाही में। इसमें उल्टी, भूख न लगना या मिचली आना शामिल है।
हालाँकि इसे मॉर्निंग सिकनेस कहते हैं, बहुत महिलाओं को दिनभर, और कभी-कभी लंबे समय तक भी यह समस्या रह सकती है।
मॉर्निंग सिकनेस में मदद के कुछ तरीके:
अधिकांश वीगन व शाकाहारी महिलाएँ सुरक्षित व स्वस्थ गर्भावस्था पा सकती हैं। परंतु पोषण की ज़रूरतें पूरी करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अगर आप गर्भावस्था में सर्वाहारी डाइट नहीं लेना चाहतीं, तो कोशिश करें कि संतुलित पौधों पर आधारित फ़ूड्स और सप्लीमेंट्स से ज़रूरी तत्व लें।
शाकाहारी/वीगन गर्भावस्था पर एक अध्ययन में पाया गया:
गर्भवती महिलाओं के लिए संतुलित पॉध आधारित आहार में:
आयोडीन:
फिर भी, गर्भावस्था में शाकाहारी/वीगन डाइट के दौरान नियमित जांच ज़रूरी है। ब्लड टेस्ट कराएँ व अपने पोषक तत्व स्तर पर निगरानी रखें, ताकि आप स्वस्थ गर्भावस्था पा सकें।
प्रतिदिन संतुलित आहार लेना और अपनी पोषण ज़रूरतें पूरी करना एक स्वस्थ व तनावमुक्त गर्भावस्था की कुंजी है। हालाँकि, आपकी डाइट गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में बदल सकती है। अगर आप अपनी गर्भावस्था और ड्यू डेट लेकर ज़्यादा जागरूक होना चाहती हैं, तो हमारा गर्भावस्था ड्यू डेट कैल्कुलेटर आज़माएँ। यह आपको गर्भावस्था के विभिन्न स्टेज समझने और बढ़ते शिशु की ज़रूरतें जानने में मदद करेगा।
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